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अनुभूति के कवि अजय “आवारा” जी

लोग साहित्य लिखते हैं। गीत, कविता और कहानियां लिखते हैं। पर, क्या कोई दिल की बात लिखता है? क्या आपने अपने भीतर की पुकार सुनी है? शायद हम इन सब बातों से अनजान ही रह जाते हैं। हमारी खुद की पहचान चीखती रह जाती है। चलिए आज उन आवाजों को सुनने की कोशिश करते हैं। […]

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मेजर जनरल ए.के. शोरी जी की पुस्तक ‘Invisible Shades of Ramayana’ पर एक संवाद (भाग-2)

आप सब जानते ही हैं कि आजकल हमने मेजर जनरल अमिल कुमार शोरी जी की पुस्तक ‘Invisible Shades of Ramayana’ पर एक श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम आरम्भ किया है, जिसका पहला भाग आप पिछले हफ्ते पढ़ चुके हैं और आज उसका दूसरा भाग हमारे पॉडकास्ट से प्रसारित किया जाएगा। शोरी जी की यह पुस्तक आदिकवि महर्षि वाल्मीकि […]

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बहुभाषी साहित्य का संगम बिंदु – डॉ. स्वर्ण ज्योति

– अजय ‘आवारा’जी भाषा के चिंतन की सार्थकता सिर्फ संवाद मात्र से सिद्ध नहीं हो जाती। जब तक साहित्य के मंथन से भाषा मथी न जाए, तब तक भाषा का सौन्दर्य निखर कर सामने नहीं आता है। यह भारतीय साहित्य का सौभाग्य है कि भाषाओं के जितने भेद, भारत वर्ष में पाए जाते हैं, संभवतः […]

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मेजर जनरल ए.के.शोरी जी की पुस्तक ‘Invisible Shades of Ramayana’ पर एक संवाद(भाग 1)

“कौन सी बात कहां,कैसे कही जाती है। यह सलीका हो तो ,हर बात सुनी जाती है।” प्रसिद्ध शायर वसीम बरेलवी जी ने इस शेर में जो बात कहनी चाही है, वह हम सभी पर कभी न कभी सटीक बैठती है, क्योंकि हममें से अधिकांश लोगों की यह समस्या होती है कि हम तो अपनी बात […]

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कबीर और तिरुवल्लुवर:साहित्य की समानताएं

– अजय ‘आवारा’ भाषा का महत्व उसके साहित्य से आंका जाता है। अगर हम यह कहें, कि वास्तव में साहित्य भाषा का श्रृंगार है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हम इस बात को भी नहीं नकार सकते कि साहित्य समाज का प्रतिबिंब एवं दिशा सूचक भी होता है। साहित्य ने हमेशा किसी भी काल एवं […]

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तमिल साहित्य:उद्गम और विकास

                         – अजय “आवारा” यह एक कौतुहल भरा सवाल हो सकता है, कि विश्व की प्राचीनतम भाषा की सूची में कौन-कौन सी भाषाएं आती हैं। क्या हम यह मानकर गलती नहीं कर रहे, कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जनक है। जब हम प्राचीनतम […]

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