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स्त्री की धरती, स्त्री का आसमान

  “वह ऊष्मा है ऊर्जा है प्रकृति है पृथ्वी है क्योंकि – वही तो आधी दुनिया और पूरी स्त्री है।”              -डॉ. शरद सिंह महिला सशक्तिकरण और इससे जुड़े तमाम विषयों पर ‘चुभन’ से प्रायः कई पोस्ट प्रकाशित होती रहती हैं और कई विद्वान-विदुषी व्यक्तित्व इस विषय पर आकर अपने-अपने […]

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आवारा की बातें

दोस्तों, हम सभी कभी न कभी ऐसा महसूस करते ही हैं कि हम अपने उद्गार कहीं व्यक्त नहीं कर पा रहे या कोई ऐसा प्लेटफॉर्म हमें नहीं मिलता, जहां हम स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करें। हमारे ‘चुभन’ के प्लेटफॉर्म से काफी समय से जुड़े हुए बंगलुरू के वरिष्ठ साहित्यकार अजय ‘आवारा’ […]

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तू जी, ऐ दिल ज़माने के लिए

“अमृत कलश तो देवता लेकर चले गए विष ज़िंदगी का जो बचा सारा मिला हमें। ये आग, ये धुंआ, ये धुंधलका है सामने इस हाल में तो हर कोई हारा मिला मुझे।” – हनुमंत नायडू बात बिल्कुल सही है, जीवन दुखालय है और इसमें वही इंसान आंतरिक सुख और संतुष्टि का अनुभव कर सकता है, […]

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तेलुगु साहित्य-विमर्श

Telugu Sahitya Vimarsh अजय यादव जी की ‘कलम’ से – तेलुगु भाषा का अस्तित्व कब से आरंभ हुआ, इस दिशा में जो अनुसंधान हुए हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं।जब तक निश्चित रूप से कोई प्रामाणिक सिद्धांत प्रतिपादित नहीं किया जाता, तब तक अनुमान के आधार पर किसी भाषा की उत्पत्ति का निरूपण करना न्यायसंगत न […]

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प्रतिभा और सामर्थ्य के विविध आयाम

साहित्य से दूरी हमें कहाँ ले जा रही ? 👆लिंक क्लिक कर इस रोचक लेख को भी अवश्य पढ़ें। बीता कुछ समय हम सबके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा और आज भी मन यही चाहता है कि यह बुरा सपना हमारी आंख खुलने के साथ झूठ साबित हो और हम फिर अपनी […]

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