स्वामी विवेकानंद जी के जीवन का उद्देश्य अपने गुरु श्री रामकृष्ण की अनुभूतियों के परिप्रेक्ष्य में वेदांत के भव्य सन्देश का प्रचार करना ही था।इसके साथ ही प्राचीन परम्पराओं और अन्तर्निहित प्रतिभाओं के अनुरूप अपनी मातृभूमि को पुनः सशक्त करना भी स्वामी जी का ध्येय था।इस सन्दर्भ में अपनी सम्पूर्ण शक्तियों को लगाकर चालीस वर्ष […]