चुभन टुडे के बारे में
हमारा उद्देश्य
चुभन टुडे में हमारा लक्ष्य हिंदी भाषा और साहित्य में अपना योगदान देना है। हमारा प्रथम प्रयास है कि उन कवियों और साहित्यकारों की अनमोल और अद्वितीय रचनाओं को सामने लाया जाए, जिन पर अभी तक अधिक प्रकाश नहीं पड़ा। हम हिंदी साहित्य के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को इन साहित्यकारों पर अध्ययन और शोध के लिए प्रेरित करना चाहते हैं।
साहित्य: समाज का दर्पण
हम सभी ने सुना है कि “साहित्य समाज का दर्पण है।” इसका तात्पर्य है कि साहित्य न केवल समाज का चित्र प्रस्तुत करता है, बल्कि उसके प्रति कुछ उत्तरदायित्व भी रखता है। समाज में फैली अनैतिकता, अराजकता, भ्रष्टाचार जैसी कुरीतियों के दुष्परिणामों को उजागर करना एक साहित्यकार का कर्तव्य है। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए, हम अपने ब्लॉग में हिंदी साहित्यकारों के जीवन, उनकी रचनाओं और समाज की समस्याओं पर चर्चा करते हैं, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से साहित्य को प्रभावित करती हैं।
हमारी खासियत: “चुभन” का एहसास
जीवन में हम सभी के साथ कुछ ऐसी घटनाएँ होती हैं, जो हमें भीतर तक चुभती हैं। कई बार हम इस “चुभन” को महसूस तो करते हैं, पर उसे व्यक्त नहीं कर पाते। चुभन टुडे इस एहसास को शब्दों में ढालने का एक प्रयास है। हमारा उद्देश्य ऐसी चुभन देना नहीं, जिससे किसी की भावनाएँ आहत हों, बल्कि एक ऐसी चुभन पैदा करना है, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर कर दे – “अरे, यह तो हम भी महसूस करते थे, पर कभी कह न सके।”
सकारात्मक बदलाव की प्रेरणा
हम चाहते हैं कि हमारे लेखों की चुभन समाज की बुराइयों को जड़ से खत्म करने का कारण बने। हर युग की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दशाओं ने साहित्य को प्रभावित किया है, और हम इन पहलुओं पर विचार-विमर्श करते हुए एक बेहतर समाज की नींव रखना चाहते हैं।
हमारे साथ जुड़ें
चुभन टुडे के माध्यम से हम आपको हिंदी साहित्य की गहराई में ले जाना चाहते हैं, सामाजिक मुद्दों पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं और एक सार्थक चर्चा का हिस्सा बनाना चाहते हैं। आइए, मिलकर हम साहित्यिक धरोहर और सामाजिक प्रगति को महत्व देने वाली एक कम्युनिटी बनाएँ।
‘कुछ’शब्दों की चुभन दिल में लगी तीर जैसी,
‘कुछ’शब्दों को ही कमान पर चढ़ाया मैंने।
डॉ भावना घई