वर्तमान में सहिष्णुता का प्रश्न:चैतन्य महाप्रभु का सन्देश
भगवान श्री कृष्ण की श्रीमद्भागवद्गीता में यह उद्घोषणा है कि जब-जब भी धर्म की हानि होती है,मैं साधुओं की […]
भगवान श्री कृष्ण की श्रीमद्भागवद्गीता में यह उद्घोषणा है कि जब-जब भी धर्म की हानि होती है,मैं साधुओं की […]
26 जुलाई का दिन हममें से किसी को भी नहीं भूलना चाहिए।आज का दिन ‘विजय दिवस’ या ‘कारगिल शौर्य दिवस’
किसी भी समाज की उन्नति के लिए आवश्यक है कि उस समाज की महिलाएं अपने मज़हबों को मानते हुए भी
निसंदेह भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन की गिनती आधुनिक समाज के सबसे बड़े आंदोलनों में की जाती है।विभिन्न विचारधाराओं और वर्गों
कुछ बातों की चर्चा मुझे लगता है कि बिलकुल अनर्गल होती है।उनपर बहस करना मतलब समय बर्बाद करना है।इस आधुनिक
मुझे खेद है कि ‘स्त्री त्रासदी का यथार्थ रूप भाग 2’ प्रकाशित करने मे मुझे अधिक समय लग गया। ममता
स्त्री त्रासदी के यथार्थ रूप को शब्द देने वाली लेखिका ममता कालिया जी की किताब ‘बोलने वाली औरत’ की कुछ
शीर्षक पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि मेरा इशारा किस ओर है तो दोस्तों आज पूरा दिन राजनीतिक हलकों में
आज विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत के लिए बहुत ही शुभ दिन है जब इतने अधिक बहुमत के
जैसा कि मैं पहले भी कई बार लिख चुकी हूँ और फिर आज एक बार लिख रही हूँ कि मेरी
तेरहवीं सदी में कहानी कहने की एक कला के रूप में जिस विधा का सबसे अधिक प्रसार हुआ, वह थी
हम भारत देश के लोग नैतिकता की,चरित्र की या अपने धार्मिक प्रेम की जितनी भी बातें कर लें लेकिन आज
चुनावी माहौल में आजकल चाहे हम न्यूज़ पेपर पढ़ें या किसी भी टी.वी.चैनल पर डिबेट देखें,बस हर तरफ आरोपों-प्रत्यारोपों का
आज का युग जड़-विज्ञान का युग है।विज्ञान ने भांति-भांति के यंत्रों का आविष्कार किया है।जड़ीय सुख के लोभ में मनुष्य
आज मैं कई दिनों बाद अपने पाठकों के लिए कुछ लिख रही हूँ।इतने अन्तराल के बाद मिलने की मुझे बहुत
सबसे पहले मैं सबको होली की हार्दिक शुभकामनाएँ देना चाहूंगी।वैसे देखा जाए तो बीते कुछ दिनों में जो कुछ इस
“अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” पर मैंने जो लेख प्रकाशित किया था उसमें मैंने यह लिखा था कि कई ऐसे प्रश्न हैं
जैसा कि मैंने अपने लेख “वेद-लौकिक और पारलौकिक ज्ञान के ग्रन्थ” में ज़िक्र किया था कि लखनऊ में वैदिक गणित
वेद संसार के पुस्तकालय में सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं।यह लौकिक और पारलौकिक ज्ञान के ग्रन्थ हैं।इनमें उच्चकोटि के आध्यात्मिक सिद्धांत,विद्या,कला
आज का दिन ऐसा है कि दिल में एक ख़ुशी,गर्व और संतोष की अनुभूति हो रही है क्योंकि हमारी वायु
यह कैसा संयोग है कि जब मैं बीती रात में लगभग दो बजे इसी कश्मीर की समस्या और पाक समर्थित
“चुभन पॉडकास्ट”आज देश के जो भी हालात हैं और जम्मू-कश्मीर में जो भी कुछ हो रहा है उसके बारे में
हममें से शायद ही कोई हो जिसने अपनी पूर्ववर्ती पीढ़ी से यह न सुना हो कि समय बड़ा गतिशील है
कल 14 फरवरी का मनहूस दिन शायद ही किसी हिन्दुस्तानी को कभी भी भूलना चहिये।जब जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में फिदायीन
आज किसी भी न्यूज़ पेपर,टी.वी.डिबेट या आम परिचर्चा में कहीं पर भी देखिये तो सबसे बड़ा मुद्दा जो मुंह उठा
पिछले पांच-छःदिन से लखनऊ काफी साहित्यिक और कलात्मक समारोहों के कारण चहल पहल से भरा रहा।कहीं पुस्तक मेला और कहीं
आज पता नही क्यों दिल में एक टीस सी है और एक माँ का चेहरा मेरी आँखों के आगे घूम
ऐसा बचपन देखकर चुभन होती है।हम भी कुछ कर सकते हैं???… पब्लिक स्कूल का बोर्ड जहाँ पूरी तरह से यूनिफार्म