ऐसा माना जाता है, कि साहित्यकार समाज का पथ प्रदर्शक होता है। गूढ़ विषयों को सरल मानदंड लेकर आम आदमी के सामने प्रस्तुत करना, साहित्यकार के कर्तव्य में आता है। जितना उचित मंथन, उतनी ही सही दिशा समाज के लिए तय हो जाती है और जितना सटीक चिंतन, समाज की उतनी ही संतुलित मानसिकता स्थापित […]
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इल्हाम (ईश्वरीय कृपा)
कवि की पहचान, कवि की कलम से- -कमल किशोर राजपूत सर्वप्रथम सुरक्षित बचपन की संक्षिप्त यात्रा: भारत की आध्यात्मिक नगरी देवास में जन्मा, पड़ोसी बुआ ने “कमल” नाम रखवाया जो बहुत काम आया, संयोग से कमल भारतीय अध्यात्मवाद का प्रतीक भी है। पंक का कमल के […]
नारी तेरे जितने रंग, होली के भी उतने रंग
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एवं होली विशेष ✍?अपनी साँसों में मेरी, धड़कनें समाये हुए। ✍?वजूद अपना ही खुद,दाँव पे लगाये हुए॥ ✍?सँभल सँभल के क़दम,वो ज़मीं पे रखती थी। ✍?मुझ को नौ माह तक,माँ कोख में छुपाये हुए॥ -डॉ. सागर त्रिपाठी मां….उसका जीवन में क्या […]
कर्मयोगी स्वामी विवेकानंद-युवा पीढ़ी के प्रणेता
स्वामी विवेकानंद जी के जीवन का उद्देश्य अपने गुरु श्री रामकृष्ण की अनुभूतियों के परिप्रेक्ष्य में वेदांत के भव्य सन्देश का प्रचार करना ही था।इसके साथ ही प्राचीन परम्पराओं और अन्तर्निहित प्रतिभाओं के अनुरूप अपनी मातृभूमि को पुनः सशक्त करना भी स्वामी जी का ध्येय था।इस सन्दर्भ में अपनी सम्पूर्ण शक्तियों को लगाकर चालीस वर्ष […]
उल्लास और सामाजिक समरसता का महापर्व:दीपावली
उल्लास और समृद्धि के महापर्व दीपावली की मेरे सभी पाठकों को हार्दिक बधाई।ईश्वर हम सबको अज्ञान से ज्ञान की ओर,अशुभ से शुभ की ओर तथा अँधेरे से प्रकाश की ओर जाने का मार्ग दिखाएँ। दीवाली ही एकमात्र ऐसा पर्व है,जो भारत में सर्वत्र मनाया जाता है।हिमालय से कन्याकुमारी और गुजरात से असम तक सैकड़ों छोटे-बड़े […]
बहुआयामी रंग लिए एक व्यक्तित्व
आज हम बंगलुरू की डॉ. इंदु झुनझुनवाला जी के बारे में बात करेंगे, जो कि एक कवयित्री, साहित्यकार, समीक्षक, कलाकार ,विचारक ,जीवन प्रशिक्षक, प्रोफेसर, अनुवादक , दार्शनिक, संस्थापक अध्यक्ष इत्यादि अनेक रूपों में हमारे सामने आती है, अनेकों सम्मान और पुरस्कारों से आपकी रचनाओं और कार्यों को सराहा गया है। परंतु अपना परिचय वे स्वयं […]
सबका सम्मान, अपना अपमान
– अजय ‘आवारा’ इतना तो सब कहते हैं कि हमें अपनी परंपराओं पर अभिमान करना चाहिए। यह भी सब मानते हैं कि हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। इस बात में भी कोई दो राय नहीं कि हमें अन्य संस्कृति, सभ्यता […]
हिन्दी-दिवस
पारंम्परिक तौर पर हम हिंदी दिवस प्रतिवर्ष मनाते हैं। सवाल यह है कि इतने वर्षों के बाद हिंदी कहां तक पंहुची है? भारतवर्ष में हिंदी की वास्तविक स्थिति क्या है? क्या हिंदी वास्तव में हमारे सांस्कृतिक मोतियों को पिरोने वाला सूत्र बन गई है? ऐसे अनेक सवाल हैं जिनके उत्तर अभी भी अज्ञात हैं। आइए […]
अधूरी आज़ादी
-रामेंद्र सिंह चौहान, संपादक डी डी न्यूज़ लखनऊ बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है। कैसे उल्लास मनाऊँ मैं, थोड़े दिन की मजबूरी है॥ दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएँगे। गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएँगे॥ यह सपना […]
हर घर तिरंगा
-रामेंद्र सिंह चौहान संपादक डी डी न्यूज़, लखनऊ सवाल उठता है कि आखिर हर घर तिरंगा अभियान क्यों? यह तिरंगा अभियान इसलिए क्योंकि अब काशी में बम विस्फोट नहीं होते, अब […]