जनसत्ता बनाम राजनीति

मेजर जनरल ए.के.शोरी
चुभन पॉडकास्ट
“चुभन” पॉडकास्ट

सारी दुनिया आशा और निराशा, तनाव और टकराव तथा आतंक एवं युद्ध के बीच झूल रही है। महाशक्तियां आणविक शस्त्रों की होड़ में सारे विश्व को दहशत के साथ जीने को मजबूर किए हुए हैं। ऐसा नहीं कि इन देशों की जनता के मन में यह दहशत न हो, बल्कि यह उनमें तो हम से भी अधिक है लेकिन उस दहशत के बावजूद उनके शस्त्रागारों में हथियारों की ऊंचाई आसमान से भी ऊंची हो रही है और अब अंतरिक्ष को भी इसने पार कर लेने की ठान ली है।
एक सांख्यिकी विशेषज्ञ द्वारा कम्प्यूटर की सहायता से हुए सर्वेक्षण से यह अनुमान निकाला गया है कि मनुष्य के लगभग 5600 वर्षों के लिखित इतिहास में लगभग 15000 लड़ाइयां हुईं।मनुष्य की 185 पीढ़ियों में से सिर्फ 10 पीढियों को शांति पूर्वक जीने का अवसर मिला।वास्तविकता तो यह है कि युद्ध एक शाश्वत सत्य है और शांति एक चिरप्रतीक्षित अभिलाषा।
अब प्रश्न यह खड़ा होता है कि कैसे एक मानव धरती पर आया और एक व्यक्ति से परिवार और फिर कुछ परिवारों का समूह कबीला बना।कबीलों के समूह से एक बड़ा कबीला और बड़े कबीले से एक देश या प्रदेश या राष्ट्र बनते गए।इस तरह क्रमिक विकास हुआ।
इन सब बातों को मेजर जनरल अमिल कुमार शोरी जी ने बहुत ही अच्छे ढंग से हमारे पॉडकास्ट में बताया है।आज के कार्यक्रम में शोरी जी ने इस महत्वपूर्ण प्रश्न को उठाया कि जब व्यक्तियों का समूह साथ रहने लगा तो वहां सत्ता कैसे आ गई ? जनसत्ता और राजनीति का क्या संबंध है ? राजनीति हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।यह विषय हमारे समाज पर कई सदियों से छाया हुआ है।शोरी जी का कहना है कि लोगों के हाथ में जो सत्ता है, वह राजनीतिज्ञों के हाथ में चली जाती है और राजनीतिज्ञ धन-बल के ज़रिए उसका दुरुपयोग करते हैं और लोग इस चक्रव्यूह में फंस जाते हैं।
इस चक्रव्यूह को तोड़ने के उपाय या सुझाव ही शोरी जी कार्यक्रम में देंगे।

 

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