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साहित्य से दूरी हमें कहाँ ले जा रही ?

हममें से शायद ही कोई हो जिसने अपनी पूर्ववर्ती पीढ़ी से यह न सुना हो कि समय बड़ा गतिशील है या समय बड़ा बलवान है आदि-आदि।अर्थात हमारे माँ-पिता ने भी यही हमसे कहा और उनके भी माता-पिता ने उनसे यही कहा होगा और ऐसे ही शायद यह क्रम चलता जा रहा है।कहने का तात्पर्य यह […]

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वीर जवानों को शत शत नमन

कल 14 फरवरी का मनहूस दिन शायद ही किसी हिन्दुस्तानी को कभी भी भूलना चहिये।जब जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में फिदायीन हमला हुआ।ढाई हज़ार से भी ज़्यादा हमारे जवानों का कारवां था जिस पर हमला हुआ और पाक संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इसकी ज़िम्मेदारी ली।कल शाम तक टी.वी.पर समाचार सुनते हुए इतना अंदाज़ नही लग रहा था […]

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बात जो दिल को चुभ गई

आज किसी भी न्यूज़ पेपर,टी.वी.डिबेट या आम परिचर्चा में कहीं पर भी देखिये तो सबसे बड़ा मुद्दा जो मुंह उठा कर खड़ा हो जाता है वह है धर्म।मैं यहाँ कुछ ऐसा नही लिखना चाहती कि जो विवाद का विषय बनता हो लेकिन कुछ ऐसी बातें होती हैं जो सोचने को मजबूर कर देती हैं कि […]

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कट्टरपंथ बनाम धर्मनिरपेक्षता

पिछले पांच-छःदिन से लखनऊ काफी साहित्यिक और कलात्मक समारोहों के कारण चहल पहल से भरा रहा।कहीं पुस्तक मेला और कहीं सनतकदा फेस्टिवल….खैर ऐसे समारोह कला,सहित्य-संगीत की दृष्टि से बहुत उपयोगी,कलाकारों को सम्मान और उनको उचित स्थान देने वाले होते हैं इसमें तो कोई शक नहीं है लेकिन कभी कभी हम साहित्य संगीत या कला की […]

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दास्तानगो अंकित चड्ढा को श्रद्धांजलि

आज पता नही क्यों दिल में एक टीस सी है और एक माँ का चेहरा मेरी आँखों के आगे घूम रहा है जिसने अभी कुछ महीनों पहले अपने ऐसे होनहार बेटे को खोया है जिसका जाना हम जैसे न जाने कितने लोगों के दिल को आज भी असीम वेदना से भर देता है।मैं बात कर […]

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सिर्फ कांटे ही नही चुभन देते कभी कभी फूल भी शूल बन जाते हैं….

 ऐसा बचपन देखकर चुभन होती है।हम भी कुछ कर सकते हैं???… पब्लिक स्कूल का बोर्ड जहाँ पूरी तरह से यूनिफार्म पहन कर अपने बस्ते टांग कर जाते हुए बच्चे दिखते हैं वही उसी बोर्ड के नीचे अधनंगा,पुराने टायर और टूटी बोतल से खेलता यह बच्चा? सीमेंट,ईंट और गारा लेकर मजदूरी करते माँ-बाप और पास उसी […]

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70वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

हम सभी के साथ ऐसा कभी न कभी तो अवश्य ही होता है कि जब हमें लगता है कि हम अपने दिल की बातें किसी के साथ साझा करें लेकिन अक्सर उचित पात्र न होने के कारण हमारे दिल की बातें दिल में ही रह जाती हैं।इधर कई महीनों से मैं सोच रही थी कि […]

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