पद्मश्री डॉ. बृजेश कुमार शुक्ला जी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

आज मन इतना व्यथित है कि शब्द मानो गूंगे हो गए हैं।क्या लिखूं समझ नहीं पा रही ?सुबह होते ही […]

आज मन इतना व्यथित है कि शब्द मानो गूंगे हो गए हैं।क्या लिखूं समझ नहीं पा रही ?सुबह होते ही इतनी दुखद खबर सुनने को मिलेगी, कभी सपने में भी नही सोचा था।
पद्मश्री से सम्मानित लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ बृजेश कुमार शुक्ला जी का कोरोना से स्वर्गवास हो गया।यह खबर झकझोर देने वाली है।
उज्जैन में एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में पहली बार मुझे शुक्ला सर से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।इतना सौम्य-स्नेहिल व्यक्तित्व कम ही देखने को मिलता है।उसके बाद मैं जब भी आपसे मिली हमेशा स्नेह-आशीर्वाद ही प्राप्त हुआ।
शुक्ला सर, आपने तो अप्रैल में ‘चुभन’ के कार्यक्रम में आने का मुझसे वादा किया था।क्यों और कैसे आप असमय चले गए ?……..
हमारी स्मृतियों में आप सदा ही हंसते मुस्कुराते हुए ज़िंदा रहेंगे।’चुभन’ की तरफ से शुक्ला सर को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

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