👆पूरे संवाद को वीडियो में सुनें और कृष्ण भक्ति में डूब जाएं।
श्री कृष्ण युग युग के प्रतिनिधि –
श्री कृष्ण युग-विशेष के प्रतिनिधि न होकर युग युग के प्रतिनिधि हैं। निसंदेह कहा जा सकता है कि भारतीय चिंतन धारा को सर्वाधिक प्रभावित यदि किसी ने किया तो वह श्रीकृष्ण और श्री राम के चरित्र ही हैं। डॉ. नारदी जगदीश पारेख जैसी विभूतियों ने इस चिंतन धारा को और भी गहरा और व्यापक बनाया है। आपने विपरीत परिस्थितियों में रहते हुए भी निरंतर अपना लेखन जारी रखा।
जन्माष्टमी पर्व –
जिन श्रीकृष्ण जी को भारतीय जीवन-दर्शन ने पूर्णावतार की संज्ञा दी हो, ऐसे चरित्र का आज “जन्मदिन” है। कृष्ण जी का जन्मदिन सिर्फ हमारे भारत देश मे ही नही, वरन विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कृष्ण जी के बाल रूप की झांकियां जगह जगह सजाई जाती हैं और आधी रात को कृष्ण जी का जन्म करवाने की परंपरा भी हमारे देश मे रही है। हर घर मे ऐसा माहौल हो जाता है, जैसे सच मे किसी नवजात शिशु का जन्म हुआ हो। यह हमारी सनातन परंपरा है, जिसे और कहीं नही देखा जा सकता।
इसीलिए जन्माष्टमी का पावन पर्व विदेशों में भी उतनी ही धूमधाम से मनाया जाता है। सच मे श्री कृष्ण की छवि, उनका रूप देखकर जैसी दिव्य आनंद की अनुभूति होती है, वह वर्णनातीत है।
बिहारी ने अपने इस दोहे में कितना सही कहा है –
“या अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहि कोई,
ज्यों ज्यों बूड़ै स्याम रंग, त्यों त्यों उज्जलु होई।”
सच में मनुष्य के अनुरागी चित्त की गति और उसकी स्थिति को कोई भी नहीं समझ सकता। श्री कृष्ण भक्ति में डॉ. नारदी जगदीश पारेख जैसे भक्तों ने बार-बार यह सिद्ध किया है कि हमारा मन जैसे-जैसे कृष्ण भक्ति के रंग में डूबता है, वैसे-वैसे हमारे समस्त दुर्गुण मिटते जाते हैं।
कृष्ण का चरित्र –
कृष्ण जी का चरित्र हमें एक बात सिखाता है कि भक्ति भोले भाव की ही होनी चाहिये। इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि जितने भी कृष्ण भक्त हुए हैं, उन्होंने व्यर्थ के आडंबर, पूजा पाठ, नियम जप के चक्कर मे न पड़कर साख्य भाव की भक्ति की, जिसमें कृष्ण और भक्त मिलकर एक हो जाएं। मीरा बाई का उदाहरण इस बात का ठोस प्रमाण है। मीराबाई ने ऐसी भक्ति की, कि स्वयं कृष्ण जी को ही आना पड़ा।
तो चलिए, श्याम रंग में डूब जाते हैं, कृष्ण भक्ति के रंग में डूब जाते हैं और हमें इस भक्ति रस से सराबोर करने के लिए हमारे साथ होंगी डॉ. नारदी जगदीश पारेख जी, जो परम विदुषी और परम कृष्ण भक्त हैं। उन्होंने 9000 से अधिक कृष्ण भजन लिखे हैं, जो देश ही नहीं विदेशों में भी भक्तों के बीच बहुत ही लोकप्रिय हैं।
उनके भक्ति रस में डूबे कुछ भजनों को पढ़िए…..बल्कि गाइये और कान्हा की भक्ति में सराबोर हो जाइए –
कृष्ण भजन – 1
कैसा तूने मंतर मारा
मन को मोह लिया तूने
तन मन की अब सुध नहीं है
दिल को लूट लिया तूने।
ऐसी लगी है तेरी माया तेरी माया अंतर मन पर तू ही छाया
मन मंदिर में तुझे बिठाया
दिल में तुझे बसाया है।
पल पल तेरा नाम मैं लेती
तेरी दुहाई दिल को देती
अंतर को निछावर करके
तुझको मैने पाया है।
अब तो तू ही जीवन मेरा
तेरे चरण में मेरा बसेरा
नंदी तो बड़भागी हुई है
तुझ संग विश्व रचाया है।
कृष्ण भजन – 2
मैया तेरे अंगना में
फूलों की बहारे हैं
कान्हा चले छम छमके
खुशियों की फुहारे है।
वह तो खाए तेरे आंचल में
और सोए तेरी गोदी में
मैया तेरी गोदी पर
तीनों लोक वारे न्यारे है।
तेरे पीछे-पीछे भागे वो
रोये छछीया भर छाछ के लिए
कर पावन तेरे आंगन को
जो सारे जग के सहारे है।
जिसे जग से बचाने को
काला टीका लगाए तू
उसे मुखड़े की झांकी में
सृष्टि के नजारे है।
तू बांधे जिसे डोरी से
तेरा नटखट कन्हैया है
उसकी अंखियों की पलकों पर
मैया चांद सितारे है।
जिसे लाड लड़ाए तू
जिसका जीवन सँवारे तू
वह तो ऋषियों के प्यारे हैं
नंदी के दुलारे है।
-डॉ नारदी जगदीश पारेख नंदी
“चुभन पॉडकास्ट” पर डॉ. नारदी जी के साथ हुए पूरे संवाद को सुनें।