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क्रांतिकारी व्यक्तित्व : डॉ. शीला डागा

“मैंने अपनी झोली में
जितना संसार भरा था
वह लौटा दिया है सारा
लगता है नया जन्म हुआ है
एक सूर्यवस्त्र लिपटा है
मेरे चारों ओर
हाथ में स्पर्श है किसी की पवित्रता का
और आंख में महासागर के अतल जल का
बोध-
ठिठका है।”

– सुप्रसिद्ध कवयित्री पद्मश्री डॉ. सुनीता जैन

आज “चुभन” के पटल पर मुझे डॉ. शीला डागा जी से संवाद करने का अवसर मिला, सच में कुछ लोग जन्म लेते हैं और पूरा जीवन एक ही तरह से जी लेते हैं, लेकिन कुछ लोग इस जीवन में ही नया जन्म लेते हैं और एक ही जीवन कई बार जीते हैं, ऐसी ही शख़्सियत हैं, शीला डागा जी, जिनका व्यक्तित्व यह सिखाता है कि प्रतिकूलताएं, परेशानियां और दुख भी हमें कुछ न कुछ सीख देने वाले होते हैं।
आपके पिताजी ने, जो कि व्यवसायी थे, शीला जी को 5 वर्ष की अवस्था में गुरुकुल कांगड़ी पढ़ने भेज दिया क्योंकि वे अपनी बेटी को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलवाना चाहते थे।
आपने कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, देहरादून से बी.ए. (विद्यालंकार) की उपाधि प्राप्त की।
1964 में आपने आगरा विश्विद्यालय से एम.ए. किया।
1988 में दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएच. डी. की उपाधि प्राप्त की।
ऋग्वेद एवं अथर्ववेद का तुलनात्मक अर्थवैज्ञानिक अध्ययन, दिल्ली विश्वविद्यालय प्रेस से 1995 में प्रकाशित हुआ।
डॉ. शीला डागा जी ने जनवरी 1990 से अक्टूबर 1994 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत रिसर्च फेलो के रूप में कार्य किया, जहां आपने “महाभारत डेटाबेस प्रोजेक्ट” पर कार्य किया।
आप 1996-1997 में कन्या गुरुकुल स्नातकोत्तर महाविद्यालय, देहरादून, द्वितीय परिसर, गुरुकुल कांगड़ी विश्विद्यालय, हरिद्वार में प्राचार्या भी रहीं।
आपने दिल्ली विश्वविद्यालय में भी संस्कृत विभाग में अध्यापन कार्य किया।

इतना कुछ हासिल कर तो लिया आपने, परंतु क्या कुछ खोया इसके बारे में उन्होंने बहुत सी बातें हमारे कार्यक्रम में बताईं, जिन्हें सुनकर मुझे यह विश्वास हो गया कि यूं ही नहीं कोई क्रांतिकारी व्यक्तित्व बन जाता।
एक ऐसे व्यक्ति से जब आपका विवाह हुआ, जो कहीं से भी उनके योग्य थे ही नहीं तो फिर भी आपने 18 वर्ष तक गृहस्थ जीवन बिताया, लेकिन फिर परिस्थितियों से हारकर रोते रहने की जगह आपने खुलकर उन परिस्थितियों को ही जीना शुरू किया और अपने बूते पर अपनी धरती और अपना आसमान तलाश किया।यह जो ऊपर उनकी शिक्षा और कार्यों का अभी मैंने वर्णन किया, वह सब आपने स्वयं हासिल किया।उनको देखकर, उनसे बात करके, एक नई ऊर्जा, एक जोश का संचार होता है।पॉडकास्ट पर उनसे हुई पूरी बात को आप सुनें।

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