महिला दिवस मनाने की सार्थकता
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International Women’s Day
महिला उत्पीड़न एवं सामाजिक चेतना-
-अजय “आवारा”जी
आप सब जानते ही हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के अवसर पर हम महिलाओं के लिए कुछ खास कार्यक्रम लेकर आ रहे हैं।महिलाएं हमारी आबादी का आधा हिस्सा मात्र नहीं हैं, वरन
नारी ने अपनी आज की पहचान पाने के लिए एक लंबी यात्रा तय की है। यह यात्रा इतनी आसान भी नहीं रही। यह भी सच है कि देश के कुछ हिस्सों में यह संघर्ष अब भी जारी है, परंतु यह भी सच है, कि अनगिनत महिलाओं ने इन कड़ियों को तोड़ा है। उन परंपराओं को तोड़ा है, जिन्होंने उनके पैरों में बेड़ियां डाली हुई थी। इन्होंने न सिर्फ उन्हें तोड़ा बल्कि स्वयं के लिए एक आसमान की रचना भी की है। इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है। आज भी कुछ ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने आज की नारी के लिए अनुकरणीय उदाहरण स्थापित किये हैं।
आज, हमने इन चमकते सितारों में से, जिस अद्भुत व्यक्तित्व को चुना है उन्हें हम ममता शाह के नाम से जानते हैं। आपने ग्रामीण परंपराओं की बेड़ियों को तोड़कर, अपनी खुद की पहचान स्थापित कर, ग्रामीण एवं शहरी महिलाओं के लिए एक उत्तम उदाहरण स्थापित किया है। आपने यह प्रमाणित किया है कि बंधन किसी की उड़ान को रोक नहीं सकते। उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र के छोटे से गांव से संबंध रखने वाला यह व्यक्तित्व, साबित करता है, कि यदि सपनों को छूने की कोशिश की जाए, तो कोई आसमान इतना ऊंचा नहीं होता। इसके लिए बस अपने पंखों को खोलने की आवश्यकता होती है। आप एक रूढ़िवादी परिवार में ब्याहे गए थे। आपके संघर्ष ने यह साबित किया, कि कड़ियां कितनी भी मजबूत क्यों न हों,उन्हें काटने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति ही काफी होती है।
आपने, ना सिर्फ अपने सपनों को जमीन पर उतारा, साथ में, अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया।आपने कंटीले झाड़ झंखड़ों को साफ करके अपने लिए एक राजमार्ग स्थापित किया है।
गढ़वाली संगीत, लोकगीत एवं गढ़वाली काव्य संसार में आप एक जाना माना नाम हैं। साधारणतया लोग स्वयं को सिर्फ गायन या लेखन तक ही सीमित रखते हैं। परंतु आपने सिर्फ लेखन ही नहीं किया बल्कि उत्कृष्ट गायन भी किया है। आज, आप गढ़वाली गीतों की प्रतिष्ठित लेखिका ही नहीं हैं, बल्कि वादी में गूंजती मधुर आवाज बन कर स्थापित हैं। आपने आधुनिकता की चकाचौंध में बजने वाले संगीत के बीच, गीतों की परंपराओं को भली-भांति स्थापित किया है। आपने सिर्फ गीतों को मधुर आवाज ही नहीं दी बल्कि उत्तम लोक गीत लिखने की परंपरा को भी आगे बढ़ाया है।
आपकी यात्रा यही नहीं रुक जाती, व्यक्तिगत संघर्षों से सीख लेकर, आपने सिर्फ स्वयं को साबित करने तक सीमित नहीं रखा। आज आप उत्तराखंड में नारी के सम्मान के लिए लड़ने वाला अग्रणी नाम हैं। आप न सिर्फ विभिन्न मंचों से नारी सम्मान का विषय उठाती हैं, बल्कि व्यक्तिगत तौर पर भी प्रताड़ित महिलाओं को सहारा देकर, उनके मार्गदर्शन के काम में संलग्न हैं। आपको इस कार्य में सीमित स्रोत नें बांधकर नहीं रखा है। आप राजनीतिक प्रभाव, सामाजिक संगठनों एवं आम जन समुदाय का सहारा लेकर इस यात्रा में आगे बढ़ती जा रहीं हैं। आप अपने बूते पर ही प्रताड़ित महिलाओं को सहारा देने वाला मजबूत स्तंभ हैं।
महिला दिवस (Women’s Day) पर इस व्यक्तित्व को ‘चुभन’ प्रणाम करता है।
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