वैलेंटाइन्स डे : सच से कितना दूर, कितना पास
– अजय “आवारा” परंपरा निभाना अच्छी बात है। इससे समाज में संस्कार आते हैं, परंतु किसी भी संस्कृति की परंपरा […]
– अजय “आवारा” परंपरा निभाना अच्छी बात है। इससे समाज में संस्कार आते हैं, परंतु किसी भी संस्कृति की परंपरा […]
“दान कर, तो तू महादान कर, वतन पर अपना कर्ज अदा कर, मतदान दिवस है आज का दिन, चल निकल,आज
-डॉ. श्रीलता सुरेश भारत की समृद्ध संस्कृति प्राचीन काल से हैl
आज सुबह जैसे ही भारत रत्न,स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी के देह-त्याग की खबर सुनी, सच में जैसे कुछ देर
वसंत के आगमन के साथ ही मौसम में एक विचित्र-सा परिवर्तन आने लगता है।देह को सहलाती हुई हवा में मन
– अजय “आवारा” उत्तर प्रदेश एवं देश की राजनीति में दो रेखाएं हैं, जो कहने को तो
– अजय “आवारा” अहिंसा की शिक्षा भारत के लिए कोई नई बात नहीं है।सिर्फ बौद्ध और जैन धर्म
आज गणतंत्र दिवस(26 जनवरी) की मेरे सभी पाठकों को बहुत बहुत शुभकामनाएं।आज का दिन हम सभी के लिए बहुत खास
आज 24 फरवरी 2022 को चंडीगढ़ के टैगोर थियेटर में हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा अम्बाला
एक नहीं सैकड़ों देश-विदेश के महान लोगों के मुंह से मैंने सुना है कि भारत विविधता में एकता से भरा-
“मैंने अपनी झोली में जितना संसार भरा था वह लौटा दिया है सारा लगता है नया जन्म हुआ है एक
गुजरता वक्त, कुछ अनुभव देकर जाता है, तो कुछ संकेत भी दे देता है। वहीं, आने वाला वक्त, अपने अंदर
आज देश मे गोवंश की दशा बहुत अच्छी नहीं है।इन बेज़ुबानों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार क्यों ? जबकि गाय इस
डॉ. भावप्रकाश गांधी “सहृदय” सहायक प्राध्यापक-संस्कृत, सरकारी विनयन कॉलेज गांधीनगर, गुजरात। संस्कृत केवल भाषा नहीं है परंतु सत्य सनातन भारतीय
डॉ. अग्निशेखर की कविता से आरंभ समकालीन हिंदी कविता के सुप्रसिद्ध कवि डॉ. अग्निशेखर जी की एक कविता से मैं
भाषा हमारे मनोभावों की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम है।यह किसी की जागीर नही होती।विभिन्नता में एकता हमारे देश की
शांत लहरों को सुनामी में न परिवर्तित करें छोड़ दें यह ज़िद कि हम भी प्रेम परिभाषित करें…… सच में
सुम्बल, मेरे गांव! कैसे हो मैं तुम्हें सांस सांस करता हूं याद तुम्हारे बीचो बीच से होकर बहती वितस्ता मेरी
विजयादशमी के पावन पर्व पर आप सभी को अनंत मंगलकामनाएं। इन पर्व-उत्सवों की जो उमंग पहले हुआ करती थी, वह
सारी दुनिया आशा और निराशा, तनाव और टकराव तथा आतंक एवं युद्ध के बीच झूल रही है। महाशक्तियां आणविक शस्त्रों
इन्सान के महान विचार कार्य रूप में परिणत हों तो वह कई कदम आगे निकल जाता है और इस बात
जैसे ही अक्टूबर माह लगता है वैसे ही मन गर्व से भर उठता है क्योंकि इसी माह की 2 तारीख
हिन्दी-दिवस की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज हिंदी राजभाषा, संपर्क भाषा और जन भाषा के सोपानों को पार कर
वक्त के बहाव में कभी-कभी सब कुछ बह जाता है, ढह जाता है और हम टूट कर, बिखर कर रह
“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा” अर्थात् संस्कृति का मूल संस्कृतभाषा है। संस्कृत भाषा ही भारतीय संस्कृति का आदिस्रोत है। संस्कृत
– डॉ.स्वर्ण ज्योति भाषा विचारों के आदान-प्रदान का सशक्त माध्यम है। मानव का मानव से संपर्क माध्यम है भाषा। किंतु